अक्षर पटेल बायोग्राफी
बेंच! क्रिकेट में ये शब्द उन प्लेयर्स के लिए इस्तेमाल होता है। जो प्लेइंग इलेवन में नही होते हैं मगर, स्क्वाड में ज़रूर होते हैं। क्योंकि, बेंच पर बैठा प्लेयर ही ज़रूरत पढ़ने पर टीम में वापस आता है। इसलिये, आज टी-ट्वेंटी क्रिकेट के बढ़ते रश ने हर टीम को एक टाइप के दो प्लेयर रखने के लिए मजबूर कर दिया है।
इतना वर्कलोड, इतने मैचेज़ के होते हुए किसी एक प्लेयर के लिए सभी फोर्मेट्स मे फिटनेस को कैरी कर पाना मुश्किल है। लेकिन, कुछ प्लेयर ऐसे होते हैं, जिनके जैसा दूसरा प्लेयर सोचना भी बेईमानी है। जिनमे इंडियन क्रिकेट से कोहली ( Virat Kohli ), रोहित ( Rohit Sharma )और बुमराह ( Jaspreet Bumrah) का नाम टॉप पर है।
अब आप सोच रहे होंगे कि हमने इस लिस्ट में Ravindra Jadeja का नाम शामिल क्यों नहीं किया ? तो दोस्तो, इस सवाल का जवाब है एक नाम। वो नाम जो पिछले दो सालो से लगातार इंटरनेशनल क्रिकेट में इंडियन टीम का परचम बुलंद कर रहा है। वो नाम जिसने रविन्द्र जडेजा जैसे थ्री डी प्लेयर की कमी महसूस नहीं होने दी। वो नाम जिसे आप और हम Axar Patel कहते हैं।
मगर, शायद ही आप जानते हो कि आज इंडियन क्रिकेट टीम की मेन कड़ी बनने वाले अक्सर पटेल को पहले क्रिकेट में कोई इंटरेस्ट नहीं था और एक वक्त तो वो क्रिकेट ही छोड़ने वाले। मगर, उनके क्रिकेट में इंटरेस्ट आने और दोबारा क्रिकेट की तरफ़ आने की कहानी किसी फ़िल्मी प्लॉट से कम नहीं है।
आज हम उस अक्सर पटेल की बात करेंगे, जिसने अपने कैरियर में अभी तक कभी मुश्किलों के आगे घुटने नहीं टेके, जितने भी मौके मिले ख़ुद को प्रूव किया और आज आलम ये है कि उनके होते हुए रविन्द्र जडेजा की वापसी मुश्किल लग रही है। ये कहानी है इंजीनियर अक्षर पटेल के क्रिकेटर अक्सर पटेल बनने की।
Axar Patel Biography In Hindi ( क्रिकटर अक्सर पटेल की जीवनी )
शुरूआती कहानी –
वो कहानी जिसकी शुरुआत होती है 20 जनवरी 1994 में गुजरात के नाडियाड से। जहाँ एक मिडिल क्लास फैमिली में एक लड़के का जन्म हुआ, जिसका नाम अक्षर (akshar) राजेश भाई पटेल रखा गया। दोस्तों! अक्षर की कहानी अन्य क्रिकेटर्स से काफ़ी अलग इसलिए है। क्योंकि, जहाँ ज़हीर, सहवाग और शमी जैसे बहुत से क्रिकेटर्स को बचपन मे क्रिकेट छोड़ने के लिए कहा गया। मगर, उनके क्रिकेट खेलने के जुनून ने ऐसा नहीं होने दिया।
वहीं अक्षर पटेल की कहानी में उल्टा है। उनके पिता राजेश पटेल गुजरात से होने के बावजूद चाहते थे कि अक्षर आगे चलकर एक बड़े क्रिकेटर बनें। मगर, अक्षर तो नेट्स बंक करके दोस्तों के साथ मटरगश्ती करने निकल जाते थे और आँखों मे मेकेनिकल इंजीनियर बनने का सपना संजो रहे थे। लेकिन, “जब किस्मत ने बुलंदी लिखी हो, तो मंज़िल तक क़दम जैसे-तैसे चल ही पड़ते हैं”। ऐसा ही कुछ हुआ अक्षर पटेल के साथ।
पिता के लिए छोड़ दिया इंजीनियरिंग का सपना
बात क्लास नाइंथ की है, अक्षर के एक फ्रेंड धीरेन कंसारा ने इंटरस्कूल टूर्नामेंट में ग्यारह प्लेयर नहीं होने पर उन्हें अपने साथ टीम में जोड़ लिया। ये पहला मौका था जब अक्षर पटेल ने क्रिकेट को प्रोफेशनल लेवल पर खेलते हुए इंजॉय किया। मगर, पढ़ाई में अच्छा होने के चलते अक्षर का मन आगे पढ़ने का था।
लेकिन, जैसे-जैसे अक्षर की उम्र बड़ी वैसे-वैसे उन्हें अपने पिता की कुर्बानियां नज़र आने लगीं। उन्हें समझ आने लगा कि एक मिडिल क्लास फैमिली से होने के बावजूद उनके पिता ने क्रिकेट पर कितनी ज़्यादा इन्वेस्टमेंट की है। बस फिर क्या था! अक्षर पटेल का डेडिकेशन, पिता की दुआ और क़िस्मत का लिखा सब एक हो गए और अक्षर पटेल चल पड़े क्रिकेटर बनने की राह पर।
अक्षर पटेल से अक्सर पटेल
और हाँ! इस दौरान ही अक्षर पटेल का नाम भी बदल गया। दरअसल हुआ ये कि जब अक्षर पटेल स्कूल छोड़ रहे थे। तो उनके प्रिंसिपल ने ग़लती से अक्षर (akshar) पटेल को अक्सर (axar) पटेल लिख दिया और इस नाम के बेस पर अक्षर पटेल के पासपोर्ट में भी अक्सर पटेल नेम चढ़ गया। इस तरह गुजरात की गलियों के अक्षर पटेल बनें इंटरनेशनल क्रिकेट के अक्सर पटेल।
फिल्मी कहानी
गुजरात के छोटे से शहर नाडियाड से इंटरनेशनल क्रिकेट तक अक्सर के आने का सफ़र भी उनके क्रिकेट से जुड़ने की तरह किसी फ़िल्मी प्लॉट से कम नहीं है। पहले तो स्मॉल टाउन की लिमिट्स को तोड़ते हुए अक्सर ने जैसे-तैसे ख़ुद को गुजरात की अंडर-19 टीम के लिए प्रूव किया। मगर, जब उनकी जगह टीम में मज़बूत होने लगी तभी उनके पांव में चोट लग गई।
अक्सर के पिता की मानें तो उस चोट का दर्द उन्हें बदहाल कर देता था। एक अंडर-19 क्रिकेटर के लिए ऐसी दर्दभरी चोट, वो भी कैरियर की शुरुआत में बहुत ज़्यादा डिमोटिवेटिंग होती है। यही अक्सर पटेल के साथ भी हुआ।
उन्होंने इस दौरान क्रिकेट छोड़ने का मन बनाना लिया। मगर, फिर क़िस्मत क्रिकेट से दूरी और अक्सर के आड़े आ गई। हालाँकि, इस बार अक्सर का अपना फ़ैसला भी था। दरअसल हुआ ये कि चोट से उभरने के बाद डॉक्टर ने अक्सर को फ़िटनेस बेहतर करने के लिए एक्सरसाइज़ करने को कहा। मगर, अक्सर को जिम की पाबन्दियाँ बर्दाश्त नहीं थी।
इसलिए, उन्होंने डॉक्टर की सलाह के बाद क्रिकेट खेलना जारी रखा और इस तरह क्रिकेट और अक्सर का रिश्ता गहरा हो गया। वो धीरे-धीरे कड़वी यादों से उभरते गये और प्रोफेशनल क्रिकेट में एक्टिव होते गए। क्योंकि, नम्बर 7 पर स्लो लेफ़्ट आर्म ऑर्थोडॉक्स बॉलर जो लोअर ऑर्डर में आकर लम्बे हिट भी लगा सके, आसानी से मिलते नहीं है।
इसलिये, अक्सर के लिए एज ग्रुप क्रिकेट में जगह बनाना आसान हो गया। इसके अलावा अक्सर की परफॉर्मेंस भी बहतरीन थी। वो 2014 में अंडर-19 प्लेयर ऑफ़ द ईयर थे। तो 2013 में 7 विकेटों के साथ टीम इंडिया की अंडर-23 एसीसी इमरजिंग टीम कप की जीत की अहम कड़ी भी थे। जबकि, अपने टैलेंट के दम पर वो गुजरात के लिए रणजी डेब्यू 2012 सीज़न में ही कर चुके थे।
अक्षर पटेल रणजी प्रदर्शन
जहाँ उन्होंने अपने दूसरे मैच में दिल्ली जैसी बड़ी टीम के ख़िलाफ़ सिर्फ़ 55 रन देकर 6 विकेट लेने की यादगार परफॉर्मेंस की थी। इसके बाद अगले ही रणजी सीज़न में 46 की बैटिंग एवरेज से 369 रन और 23 की बौलिंग एवरेज से 29 विकेट लेकर सनसनी मचा दी। जिसके बाद अक्सर को मुम्बई इंडियन्स ने 2013 आईपीएल सीज़न में अपने साथ जोड़ लिया।
हालाँकि, उस सीज़न अक्सर ने एक भी मैच नहीं खेला। मगर, उन्हें मुम्बई इंडियन्स ले डग आउट से प्रेशर हैंडल करने का जो माहौल मिला। उसे अक्षर ने 2014 आईपीएल सीज़न में किंग्स इलेवन पंजाब के लिए यूज़ किया। अक्सर पटेल ने शानदार परफॉर्मेंस देते हुए पूरे आईपीएल में 17 विकेट लिए और इमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ आईपीएल सीज़न 7 बनें।
सीधे-सीधे कहें तो सिर्फ़ 20 साल की उम्र में ही अक्सर पटेल छा गए थे और नेशनल सिलेक्टर्स की रडार में आ गए थे। लेकिन, उस दौरान इंडियन नेशनल टीम में रविन्द्र जडेजा, स्टुअर्ट बिन्नी, सुरेश रैना और अक्सर के आइडल युवराज सिंह जैसे बड़े प्लेयर अपनी जगह के लिए लड़ रहे थे। ऐसे में अक्सर पटेल ने ख़ुद अगले कुछ साल अपने इंटरनेशनल डेब्यू की उम्मीद भी नही की थी।
अक्षर पटेल का अंतरराष्ट्रीय डेब्यू
इसलिये, जब वो रोहतक में दिलीप ट्रॉफी मैच की तैयारी कर रहे थे और उनके फ्रेंड्स ने उन्हें वेस्टइंडीज के विरुद्ध आख़िरी दो वनडे मैचों में सिलेक्ट होने की बात बताई। तो, अक्सर पटेल उसे मज़ाक समझ रहे थे। हालाँकि, अक्सर का इंटरनेशनल डेब्यू वेस्टइंडीज के सामने नहीं बांग्लादेश के सामने 15 जून 2014 को हुआ। उस मूमेंट को याद करते हुए अक्सर पटेल ने एक इंटरव्यू में कहा था “मैं उस दिन बहुत ख़ुश था। मगर, दादी को भी मिस कर रहा था। क्योंकि, वो मुझे इंडियन जर्सी में देखने से पहले गुज़र गई थीं”।
ये शायद अक्सर पटेल के उनकी दादी के साथ बॉन्ड से मिली दुआओं का ही असर था कि उन्हें बड़े करिश्माई अंदाज़ में 2015 वर्ल्ड कप के लिए सिलेक्ट हुई स्क्वाड में जगह मिल गई। हालांकि, अक्सर 2015 वर्ल्ड कप में एक भी मैच नहीं खेले। लेकिन, वहाँ के एक्सपीरियंस को उन्होंने ज़िम्बाब्वे के विरुद्ध टी-ट्वेंटी डेब्यू में ही 3 विकेट की परफॉर्मेंस के साथ मैन ऑफ़ द मैच बनकर शो किया। इसके बाद सिलेक्टर्स ने भी अक्सर पर भरोसा जताना शुरू किया और इस तरह अक्सर इंडियन टीम की स्क्वाड का रेगुलर पार्ट बन गए।
जडेजा की वजह से छुप गया अक्षर का टैलेंट
दोस्तों! ये वो वक़्त था जब अक्सर पटेल की इंडियन टीम में प्लेस कंफर्म लग रही थी। मगर, तभी शुरू हुआ रविन्द्र जडेजा का गोल्डन ऐरा। क्या वाइट बॉल-क्या रैड बॉल, क्या देश-क्या विदेश, क्या डॉमेस्टिक-क्या इंटरनेशनल, हर जगह जडेजा ने विकेट और रनो का पहाड़ लगा दिया। जैसे चाहा वैसे रन बनाये। जब चाहा तब विकेट लिए।
ऐसे में जडेजा के परफेक्ट रिप्लेसमेंट अक्सर पटेल को भला कोई क्यों ही पूछता। सीधे-सीधे कहें तो अक्सर पटेल समेत सबने मान लिया था कि जडेजा के दौर में अक्सर का होना उनका कैरियर खा जाएगा और अक्सर गुमनामी के अंधेरे में खो जायेंगे। मगर, अक्सर को शायद अपनी अनोखी कहानी लिखने वाली किस्मत पर भरोसा था।
वो धीरे-धीरे अपनी धमक क्रिकेट गलियारों में छोड़ते रहे। जब इंटरनेशनल क्रिकेट में चांस मिलता आकर परफॉर्म करते, बाक़ी, आईपीएल में पहले पंजाब और बाद में दिल्ली की तरफ़ से तो जलवे बिखेरते ही रहते थे। इसके अलावा डॉमेस्टिक सर्किट में भी अक्सर पटेल का जादू फीका नहीं पड़ा था।
3 साल बाद दोबारा मिला मौका
अक्सर पटेल की इस कनसिसटेन्सी और बिलीफ की ही वजह थी कि उन्हें किस्मत ने अपने पोटेंशियल को प्रूफ़ करने का एक और मौका तब दिया। जब रविन्द्र जडेजा 2021 शुरुआत में इंग्लैंड के इंडिया टूर पर टेस्ट के लिए अवेलेबल नही थे। सिलेक्टर्स ने अक्सर को टीम में शामिल किया और क़रीब 3 साल बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रहे अक्सर पटेल ने 3 मैचों में 27 विकेट लेकर सनसनी मचा दी।
अब अक्सर पटेल के टैलेंट की वाहवाही उनको भुला चुके लोग भी कर रहे थे। उस परफॉर्मेंस के बाद अक्सर को लगातार टीम में जगह और मौके मिले। जिन्हें अक्सर ने दोनो हाथों से लपकते हुए शानदार परफॉमेंस में तब्दील किया। अक्सर के कभी हार ना मानने वाली स्पिरिट का ही नतीजा है
कि एक समय क्रिकेट छोड़ने वाले अक्सर, जडेजा की परछाई में दबने वाले अक्सर, आज वर्ल्ड के बेस्ट बॉलिंग ऑल राउंडर में गिने जा रहे हैं।
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